जनोक्ति ' ' के पक्ष में कही आपकी हर बात से सहमति प्रकट करना मुश्किल है।
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आपका मेल मिला मगर “जनोक्ति” के पक्ष में कही आपकी हर बात से सहमति प्रकट करना मुश्किल है।
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मनोज भाई, अब आपकी ग़ज़लों पर आता हूँ, लेकिन उससे पहले डॉ. तिलक राज कपूर जी की इस बात से सहमति प्रकट करना चाहूँगा कि-” ग़ज़ल 2 में शेर 3 की पंक्ति 2 में ' बेहया ' शब् द पर वज् न की आंशिक समस् या लग रही है।